किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ माता-पिता भ्राता सब होई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥ पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ सुबह सुबह ले शिव का https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa